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Wednesday 18 November 2015

हज़ारों ख्वाइशें



मेरे धड़कते सीने में 
लिपटी सपनों की तरह 
हज़ारों ख्वाइशें ऐसी 
जो महके चनदन जैसी 

मेरे नयनो में बसे 
मीठे ख्वाब हो जैसे 
अरमानो से भरे 
खिले फूलों जैसे 

मधुर गीतों की तरह 
छेड़े सुरीले तराने 
दिल गुदगुदाए 
प्रीत के हैं प्यासे 

तेरी मुस्कान करे राज 
मेरे दिल की बगिया पे 
पिघलती मेरी साँसे 
मिश्री सी घुलती जाये  

स्नेहिल स्पर्श छू जाये 
अंतर्मन तब मुस्काये  
हज़ारों ख्वाइशें ऐसी 
मोगरे की खुशबु जैसी 

~ १८/११/२०१५~ 

©Copyright Deeप्ती

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